Tuesday, 16 December 2014

खुद ही कैंसर का शिकार हुए गुटखा बिजनसमैन

कई सालों से गुटखा बनाने का कारोबार चला रहे 52 साल के विजय तिवारी खुद ही मुंह के कैंसर का शिकार हो गए। मुंह के कैंसर से जूझते हुए छह कीमोथेरपी और 36 चरणों के रेडिऐशन के दर्दनाक अऩुभव के बाद तिवारी ने अपने 'फलते-फूलते' कारोबार को बंद करने का फैसला किया।

तिवारी का कहना है कि गुटखे की मैन्युफैक्चरिंग के दौरान केसर, इलायची आदि के फ्लेवर के बजाय सस्ते केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। गुटखे की क्वॉलिटी जांच के लिए इसे लगातार चखने की वजह से तिवारी को इसकी लत लग गई और कैंसर का शिकार हो गए। 2011 में जब तिवारी को मुंह के कैंसर का पता चला तो उन्होंने गुटखे में इस्तेमाले होने वाला खुशबू बनाने के अपने बिजनस को बंद करने का निर्णय लिया।

तिवारी का कहना है कि गुटखा बिजनस चलाने वाले लोगों को 'धोखा करना ही पड़ता है।' तिवारी का कहना है, 'आप क्या सोचते हैं कि असली केसर फ्लेवर वाला गुटखा आपको केवल एक रुपये में मिल जाएगा।?' तिवारी बताते हैं, 'एक किलो केसर की कीमत 1.6 लाख रुपये है, लेकिन इसकी जगह जिस केमिकल फ्लेवर का इस्तेमाल किया जा सकता है, उसकी कीमत महज 2300 रुपये प्रति किलोग्राम है। इलायची का मूल्य 19000 रुपये प्रति किलोग्राम है, जबकि इसका फ्लेवर 1500 रुपये में ही मिल जाएगा। 12 लाख रुपये कीमत वाले रूह गुलाब के बजाय 25 हजार रुपये के केमिकल फ्लेवर से काम चलाया जा सकता है। असली और नकली चीजों के दाम में इतना बड़ा अंतर होता है, इसलिए कोई भी गुटखा मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी असल खुशबू का इस्तेमाल नहीं करती है।'

तिवारी ने अपने उत्पाद को चेक करने के मकसद से गुटखा खाना शुरू किया था। थोड़े ही दिन बाद वह गुटखा खाने के लती हो गए और रोजाना करीब 25 पैकेट खाने लग गए। कैंसर के कारण हुई सर्जरी से अब तिवारी जी का चेहरा भी बदल चुका है। अब उन्होंने इस बात का फैसला किया है कि वह गुटखा इंडस्ट्री का हिस्सा नहीं बने रहेंगे। उन्होंने अब गुटखा के लिए खुशबू के बदले इत्र बनाने का बिजनस शुरू किया है।

तिवारी का कहना है कि गुटखा बनाने वाली कंपनियां असल चीजों के बजाय सस्ते केमिकल इस्तेमाल करती हैं। तिवारी बताते हैं कि मैन्यूफैक्चररर्स गुटखे के फ्लेवर को ठीक करने के लिए मैग्नेशियम कार्बोनेट और गैंबियर (कत्था आदि के बजाय) का इस्तेमाल करते हैं।

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च की एक रिपोर्ट ने यह खुलासा किया था कि पान मसाला, गुटखा, खैनी और माउथ फ्रेशनर्स आदि में फ्लेवर के लिए कई नुकसानदायक केमिकल्स को मिलाया जा रहा है।

http://navbharattimes.indiatimes.com/metro/mumbai/other-news/gutkha-maker-ended-up-with-cancer/articleshow/45530500.cms

'मासूमों की क़ब्र पर चढ़कर, कौन सी जन्नत में जाओगे'

पाकिस्तान के पेशावर में हुए हमले के दौरान पूरे दिन भारत में सोशल मीडिया पर एक हैशटैग ट्रैंड करता रहा - #IndiawithPakistan. यह ट्विटर पर दूसरा सबसे बड़ा ट्रैंड था.
ज़्य़ादातर भारतीय और पाकिस्तान के लोगों ने बच्चों पर हमले के लिए इस हैशटैग का सहारा लेकर तालिबान की कड़ी निंदा की.
एक शख़्स ने लिखा - ख़ून के नापाक ये धब्बे, ख़ुदा से कैसे छिपाओगे, मासूमों की क़ब्र पर चढ़कर, कौन सी जन्नत में जाओगे.
पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुट्टो की भतीजी फ़ातिमा भुट्टो ने बज़फ़ीड इंडिया को रिट्वीट किया – भारतीय पेशावर स्कूल के शिकार लोगों से एकजुटता दिखाने के लिए #IndiawithPakistan को ट्रैंड कर रहे हैं
 पाकिस्तान के पत्रकार रज़ा रूमी ने रिट्वीट किया- ख़ून और आंसुओं की कोई राष्ट्रीयता या धर्म नहीं होता. ये हममें से किसी के भी हो सकते हैं. हम आपके दर्द को समझते हैं

Sunday, 12 January 2014

देख यूं वक्त की दहलीज़ से टकराके न गिर..
रास्ते बंद नहीं सोचने वालों के लिये........

Wednesday, 4 May 2011

do something

hi.........
             this is a good news
that osama bin laden died
.but when india will tell to pak
that we also hve power to do something better ...